*तुम कौन हो बकरा जी ?
- बकरा हूँ जी।
*कौन बिरादरी हो कौन जात हो तुम? धरम क्या है?
-कोई धरम जात नहीं मालिक, मैं सिर्फ बकरा हूं, आप सेक्युलर कह लीजिये।
*लेकिन तुम्हारी दाढ़ी!!
-दाढ़ी तो कुदरत ने दी है।
*तुम्हें मालूम है तुम कटोगे तो बंटोगे ।
-बंटने का तो मालूम नहीं साहब लेकिन कटेंगे जरूर। कोई बकरा अपनी मौत नहीं मरा आजतक। मौका मिला तो हमने पालपोस कर गाँधी दिया, अहिंसा का पुजारी। लोगों ने धन्यवाद नहीं दिया, काट दिया।
*गांधीवादी हो इसलिए कटते हो। कटो मत।
-कटना हमारे हाथ में कहाँ है साहब।
*अब वक़्त कि पुकार है, हम कटने वालों को एक करना चाहते हैं।
-तो मालिक हमें बराबरी का दर्जा दे सकते हो? देना चाहते हो?
* बराबरी को बीच में मत लाओ। बराबरी अलग चीज है और कुटाई कटाई अलग चीज है। अगर सबको बराबर कर दिया तो हम क्या हुए! ऊँच नीच का का मामला तो सिस्टम में है । सिस्टम के समर्थक तो तुम्हारे गाँधीजी भी थे।
- अगर बकरे एक होने को राजी नहीं हुए तो?
* तो उन्हें हम ही काट देंगे।
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