दिल्ली हाई कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने का फैसला दिया तो नैतिकतावदियों ने विरोध किया । सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिकता विरोधी याचिकाओं की सुनवाई हो रही थी । न्यायमूर्ति के सामने केन्द्र सरकार का पक्ष आया कि समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने में उसकी सहमति है । भारतीय समाज आईपीसी लागू होने के पहले से समलैंगिकता के मामले में अंग्रेजों से ज्यादा सहिष्णु था । उन्होंने जोर दे कर कहा कि भारत सरकार को हाई कोर्ट के फैसले में कोई कानूनी खामी नहीं मिली है और वह इसे यथारूप में स्वीकार करती है ।
लल्लन ने समाचार सुना तो उत्तेजित हो गए - ‘‘ ये कैसी सरकार है जी !! आखिर किधर ले जाना चाहते हैं देश को !! कहां तो गांधी जी ने ब्रहम्चर्य की शिक्षा दी थी और कहां ये फूहड़पन !! ’’
‘‘ मजबूरी में सब करना पड़ता है भाई । ’’ विशेषज्ञ बोले .
‘‘ मजबूरी ! ....... ऐसी भी क्या मजबूरी हो सकती है !? ’’
‘‘ जानते नहीं हो क्या कि सरकार छोटे दलों के समर्थन और सहयोग से चल रही है । ...... उदार दृष्टिकोण तो रखना ही पड़ता है । ’’
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