शनिवार, 10 मार्च 2012

* स्वर्ग में लाल झंडा !

                 मंदिर में कोई नहीं था , कामरेड ने पहले फूल चढ़ाये , दीपक और अगरबत्ती जलाये , लाल -पीला कपड़ा , कुछ फल और मिठाई अर्पित की , अंत में हाथ जोड़ कर प्रार्थना करने लगे .
           जगदीश्वर चौकें ! पूछा -  " कामरेड !! .... तुम यहाँ ! सब कुशल तो है ? "
          " वृद्ध हो चला हूँ जगदीश्वर .  कभी भी जाना पड़ सकता है  . "  कामरेड बोले .
                   " कहो , मैं तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूँ ? "
                   " मैनें जीवन भर गलतियाँ की ...... , यदि क्षमा कर देते तो ....."
                   " ठीक  है , क्षमा किया . ..... और बोलो क्या चाहते हो ? "
                   " स्वर्ग की इच्छा है , अगर ......"
                   " चलो ठीक है , तुम्हारे लिए स्वर्ग भी ......."
                   " एक बात और थी जगदीश्वर ...."
                   " हाँ हाँ , बोलो ."
                   " स्वर्ग में लाल झंडे के साथ प्रवेश मिल जायेगा न ? "
       जगदीश्वर कुछ नहीं बोले .

2 टिप्‍पणियां:

  1. सच्चा कामरेड विचार और झंडे के प्रति स्वर्ग तक प्रतिबद्ध रहने की कोशिश करता ही रहता है । लघुकथा मे तथ्य पूरी तरह अभिव्यक्त हुआ है ।

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    1. सच्चा कामरेड ब्रजेश जी !!! .
      विचार अच्छा है .

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