मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

किस्मत का दरवाजा


                   जगदीश्वर सो चुके थे . आधी रात को एक नौजवान नशे में धुत्त आया और घंटियाँ बजने लगा . जगदीश्वर को उठाना पड़ा.
                 युवक नाराज था, बोला --" मैं सात भाइयों में छोटा हूँ . ना मुझे ठीक से खाना मिला, ना ही पढाई -लिखाई हुई, कोई हुनर भी सीख नहीं पाया. मेहनत बनती नहीं, कोई पूछता नहीं . ना शक्ल सूरत है ना इज्जत. तू सबके किस्मत के दरवाजे खोलता है . मैंने क्या बिगाड़ा था तेरा !! एक दरवाजा मेरे लिए नहीं खोल सकता था !? "
                  " गुस्सा मत करो युवक .... तुम्हारे लिए एक दरवाजा खोल रखा है मैंने ."
                  " कौन सा !!?" नौजवान चौंक पड़ा.
                  " राजनीति का, .... जाओ किसी नेता के पीछे हो लो . " कह कर जगदीश्वर वापस सो गए .


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