गुरुवार, 4 अप्रैल 2019

भाग्य की रेखाएँ




सिंदूर पुते जगदीश्वर पेड़ के नीचे बैठे खुली हवा का आनंद ले रहे थे कि एक युवक पीड़ा की अवस्था में आया, - “प्रभु इस हाथ को जोड़ दो, जोड़ दो प्रभु ।“
जगदीश्वर चौंके , - “ये कैसे हुआ ! ?”
“भीड़ ने किसी गलत फहमी के कारण हिंसा की और ये हाथ कट गया । जोड़ दो जगदीश्वर ।“  युवक ने कटा हाथ आगे कर आग्रह किया ।
“ये तो मेरे बस की बात नहीं है युवक । तुम्हें फौरन किसी डाक्टर के पास जाना चाहिए ।“ जगदीश्वर ने सलाह दी ।
युवक नहीं माना, - “ये कैसे हो सकता है !! आपने तो हाथी का सिर जोड़ दिया था अपने पुत्र पर !”
“वो तो सिर्फ कथा है, तुम डाक्टर के पास जाओ । “
“ठीक है , डाक्टर के पास जाता हूँ । “ अचानक वह ठिठका, बोला – “कटे हाथ में भाग्य की रेखाएँ कितनी देर तक जिंदा रहती हैं ?”