शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

लाचारी !!


                   मंदिर के पीछे बलात्कार हुआ । पीड़ित युवती फटे कपड़ों और तार-तार इज्जत के साथ जगदीश्वर  के सामने पहुंची  -- ‘‘ प्रभु !! .... तुम्हें सब पता है क्या हुआ । तुम्हारे मंदिर के पीछे ही हुआ !!! .... न्याय कीजिए प्रभु । ’’
                ‘‘ शांत  हो जाओ । मैं जानता हूं , मुझे सब पता है ......... , कहो , तुम्हें कितना मुआवजा चाहिए ? "      
               ’’जगदीश्वर ने उदारता की तिजोरी पर हाथ रखते हुए पूछा ।
               ‘‘ मुझे मुआवजा नहीं, न्याय चाहिए । आप समर्थ हैं, उस दुष्ट को कड़ी से कड़ी सजा दीजिए जगदीश्वर ।’’
              ‘‘ मुझे क्षमा करो देवी । केवल मुआवजा देना मेरे हाथ में है । .......  ‘वो’ मेरा परम भक्त है । ’’
             ‘‘ आपका भक्त हुआ तो क्या ‘वो’ कुछ भी कर लेगा !!? ’’
             ‘‘ उसकी भक्ति के आतंक के आगे मैं लाचार हूं देवी । मुआवजे के अलावा मेरे और तुम्हारे पास कोई विकल्प नहीं है । ’’
               ‘‘ तो  ............... ठीक है , ......... जैसी आपकी इच्छा । ........ आप जगदीश्वर हैं । ’’
                       जगदीश्वर ने पांच हजार रुपए दे कर युवती को बिदा किया ।
                  अभी वह कुछ दूर ही गई थी कि दूसरा भक्त आ गया । बोला - ‘‘ अब तो मुआवजा तय हो गया है , चाहो तो पहले ले लो ।  ’’

                                                                                   ------

बाजार में रिश्ते !!


          लड़की ने एक भद्दा सा इशारा  किया , बोली - ‘‘ चलता है क्या ?’’
‘‘ लड़की ! मैं जगदीश्वर  हूं । ’’ चौंकते  हुए जगदीश्वर  ने बताया ।
‘‘ जगदीश्वर  हो या कि परमेश्वर , मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता । माल तो है ना पाकेट में ? ’’
‘‘ मैं तुम्हारे पिता जैसा हूं । ’’
‘‘ मुझे ले जाने वाले ज्यादातर पिता जैसे ही होते हैं ।’’
‘‘ मुझे क्षमा करो देवी । ’’ जगदीश्वर  ने हाथ जोड़ दिए ।
‘‘ बाजार में रिश्ते ले कर मत निकला करो जगदीश्वर   । ’’ लड़की तुनक कर दूसरे आदमी की ओर चल दी ।

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

संयोग !



                  ‘‘ आप से कुछ छुपा तो है नहीं जगदीश्वर , आप मन की हर बात जानते हैं ...... जीतने के बाद मैं पहले अपना घर भरूंगा उसके बाद ही दूसरे काम करूंगा , बस आपकी कृपा रहे । ’’ हार फूल चढ़ाते हुए उम्मीदवार ने हाथ जोड़े ।
                पीछे दूसरा उम्मीदवार भी था , उसने पहले की बात सुन ली ।
               अपनी बारी आने पर वह हाथ जोड़ कर बोला - ‘‘ मैं उसकी तरह झूटा और जल्दबाज नहीं हूं । मैं पहले आपका घर भरूंगा उसके बाद अपना । बस आपकी कृपा रहे । ’’
               दूसरा उम्मीदवार  जीत गया । जगदीश्वर  ने कहा-- "यह संयोग है "।