सोमवार, 19 सितंबर 2011

वेलकम लेटर !!

                    मंदिर परिसर के बाहर आज सोलहवां दिन है पी सी पीपलगाँवकर का . वे रोज शाम चार बजे आ जाते हैं और सात बजे तक बैठे रहते है . कभी कभी आठ भी बज जाता है .
                 जगदीश्वर से रहा नहीं गया , पूछा -- " क्या बात है पी सी ? कोई परेशानी हो तो बताओ ."
               पीपलगाँवकर बोले  - " कुछ नहीं प्रभु , सेवानिवृत्त हो गया हूँ . "
               " तो इसमें दिक्कत क्या है ! .... सब होते हैं .... तुम्हारे जैसे अनेक हैं . "
             " जानता  हूँ . "
             " तो उनसे मिलो , उनके बीच उठो बैठो . तुम्हें अच्छा लगेगा . "
               " मोहल्ले की सीनियर सिटिजन सभा ने मेरा स्वागत किया था और एक वेलकम लेटर भी दिया था . "
                   " अरे वाह !! .... क्या लिखा है वेलकम लेटर में ? "
                   " लिखा है - 'आप कतार में हैं ... कृपया प्रतीक्षा कीजिये . '  ....."
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गुरुवार, 1 सितंबर 2011

समाधान


एक दिन एक दम्पत्ती बदहवास से जगदीश्वर  के पास आए , बोले - ‘‘ प्रभु हमारी लड़की पड़ौस के एक लड़के से प्रेम करने लगी है । ’’

‘‘लड़कियां समझदार होती हैं, वे प्रेम ही करती हैं । ’’ जगदीश्वर ने प्रसन्न होते हुए कहा ।
‘‘ लेकिन हम उस लड़के को कतई पसंद नहीं करते हैं  । ’’
‘‘ तो दिक्कत क्या है , आप लोग भी उसे पसंद करने लगो । ’’
‘‘ आप समझ नहीं रहे हैं प्रभु । दरअसल वो हमारी जाति का नहीं है । ’’
‘‘ तो !? ’’
‘‘ तो आप हमें ऐसा उपाय बताइये कि हमारी बेटी उससे प्रेम करना बंद कर दे , उसे दिन रात बुरा भला कहे , उससे नफरत भी करे , उसे लड़के के नाम से ही उसे चिढ़ होने लगे ...........। ’’
‘‘ ये तो बड़ा आसान है । ’’
‘‘ आसान है !! ...... तो जल्दी बताइये हमें क्या करना होगा ? ’’
‘‘ आप उन दोनों की शादी कर दीजिये । ’’