लाला धरमदास घबराए से मंदिर में दौडे़ आए, जगदीश्वर की ओर हाथ उठा कर बोले- ‘‘ ये क्या जगदीश्वर !! ..... मैंने हमेशा आपकी सेवा की, कभी आपसे बड़ी बड़ी चीजें नहीं चाही। जब भी मांगा तो बस इतना कि अंत समय आ गया है, छोटा बड़ा एक विमान भेज देना और बुलवा लेना। ..... बस इतना सा ही !!....... लेकिन ये क्या मजाक है !! ’’
‘‘ हुआ क्या ?! बड़े परेशान लग रहे हो लाला!!’’ जगदीश्वर ने पूछा।
‘‘ जांच में पता चला है कि मुझे कैन्सर है !! मैंने विमान की कामना की थी और आपने ये क्या दे दिया ?! ...... जानलेवा बीमारी !!’’
‘‘ विमान तो यही है लाला .... तुम्हारी समझ का फेर है बस ।’’ जगदीश्वर मुस्कराए।
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