बुधवार, 28 मार्च 2012

वर्दी .......


                        सब-इंस्पेक्टर पाण्डे तिलमिलाया सा जगदीश्वर  के पास पहुंचा - ‘‘ देखो जगदीश्वर , वो लाल बाबा हवा में से आपकी मूर्ति निकाल कर लोगों को मूर्ख बना रहा है और ठग रहा है । इसका कुछ कीजिए । ’’
‘‘ लोगों की गलती है । उन्हें लाल बाबा की चालाकी समझना चाहिए । ’’ जगदीश्वर  बोले ।
              ‘‘ आप उसको कुछ दंड दीजिये ना ! ’’
             ‘‘ दोष लोगों का है ..... उसको दंड कैसे दिया जा सकता है ! ’’ जगदीश्वर  ने लाचारी बताई ।
‘‘ मेरे नाम से वसूली करने वाले को तो मैं इतना पीटता हूं कि वो अपना  नाम भूल जाता है और मेरा नाम जपते हुए हल्दी-चूना लगाता है ! ’’ पाण्डे बोला ।
                         ‘‘ तुम्हारे  पास वर्दी  है सब-इंस्पेक्टर पाण्डे । ’’
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शुक्रवार, 23 मार्च 2012

* उदार दृष्टिकोण


                  दिल्ली हाई कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने का फैसला दिया तो  नैतिकतावदियों ने विरोध किया । सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिकता विरोधी याचिकाओं की सुनवाई हो रही थी । न्यायमूर्ति के सामने केन्द्र सरकार का पक्ष आया कि समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने में  उसकी सहमति है । भारतीय समाज आईपीसी लागू होने  के पहले से समलैंगिकता के मामले में अंग्रेजों से ज्यादा सहिष्णु था । उन्होंने जोर दे कर कहा कि भारत सरकार को हाई कोर्ट के फैसले में कोई कानूनी खामी नहीं मिली है और वह इसे यथारूप में स्वीकार करती है ।
               लल्लन ने समाचार सुना तो उत्तेजित हो गए - ‘‘ ये कैसी सरकार है जी !! आखिर किधर ले जाना चाहते हैं देश  को !! कहां तो गांधी जी ने ब्रहम्चर्य की शिक्षा  दी थी और कहां ये फूहड़पन !! ’’
‘‘ मजबूरी में सब करना पड़ता है भाई । ’’ विशेषज्ञ बोले .
‘‘ मजबूरी ! ....... ऐसी भी क्या मजबूरी हो सकती है !? ’’
‘‘ जानते नहीं हो क्या कि सरकार छोटे दलों के समर्थन और सहयोग से चल रही है । ...... उदार दृष्टिकोण तो रखना ही पड़ता है । ’’
                                                                   ----

बुधवार, 21 मार्च 2012

श्रेय !!



                 जगदीश्वर  दुःखी बैठे थे । लल्लन ने पूछा तो बोले - ‘‘ दुनिया मैंने बनाई है , लेकिन अब कोई श्रेय देने को तैयार नहीं है ! ’’
               ‘‘ आप भगवान हैं , दुनिया आपने ही बनाई है भला इसमें किसे आशंका  हो सकती है !? ’’ लल्लन चकित और थोड़े क्रोधित हुए ।
         ‘‘ श्रमिक दावा करते हैं कि दुनिया उन्होंने बनाई है । ’’
         ‘‘......  ! .... उनकी बात में दम तो है ...... दुनिया मजदूरों ने ही बनाई है । ’’
               ‘‘ तुम मेरे भक्त हो या श्रमिकों के वकील !? ’’
           ‘‘ लेकिन जगदीश्वर ...... श्रमिक तो आपने ही बनाए हैं ....... आप श्रमिक बनाने का श्रेय ले लो । दुनिया बनाने का अप्रत्यक्ष सहयोग ..... ।  ’’
                ‘‘ ...... । ...... । ....... । ..... नहीं । ..... पता नहीं ..... यह श्रेय है या अपराध ! ’’ जगदीश्वर  दुःखी बने रहे ।
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सोमवार, 12 मार्च 2012

भ्रष्टाचार !


                     जगदीश्वर  सो रहे थे , मध्य रात्रि में  दरवाजे पर दस्तक हुई । सोचा कोई दुखियारा होगा, उठ कर दरवाजा खोला तो देखा तमाम अफसर हैं । पता चला कि आयकर विभाग से आए हैं, जांच करेंगे यानी छापा पड़ा है ।
दो घंटे की छानबीन के बाद अफसर बोला - ‘‘ तीनों तहखाने देखने के बाद साफ होता है कि आपके पास आय से अधिक संपत्ती है । ’’

‘‘ भक्तजन चढ़ा जाते हैं । इसमें मैं क्या कर सकता हूं ! ’’ जगदीश्वर  ने आय का प्रश्न साफ  करने का प्रयास किया ।
‘‘ भक्त सौ-पचास रुपए चढ़ाते होंगे ? ’’
‘‘ नहीं , बहुत से भक्त लाखों चढ़ाते हैं .... और कुछ तो उससे भी ज्यादा । ’’
‘‘ यों ही नहीं चढ़ाते होंगे । ....... आप उन पर विशेष  कृपा करते होंगे  तभी वे लाखों चढ़ाते हैं ? ’’
‘‘ सो तो है ना । बिना विशेष  कृपा पाए कोई क्यों चढ़ाएगा ! ’’ जगदीश्वर  ने आत्मविश्वास   के साथ बताया ।
‘‘ ठीक ....... , अब आप यह भी जान लीजिए कि संसार में इसी को भ्रष्टाचार कहते हैं । ’’
अफसर ने चालान के कागज निकालते हुए कहा ।
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शनिवार, 10 मार्च 2012

* कर्मफल . . . .

               अनन्य भक्त नामदास त्यागी को मौका मिला तो उसने जगदीश्वर से पूछा - " प्रभु मेरे भाग्य में कैसी म्रत्यु है ?"
" जैसी सब की होती है नामदास ." जगदीश्वर मुस्कराते हुए बोले .
" वो तो ठीक है प्रभु , पर इतना तो बताइए की मेरी म्रत्यु कैसे होगी ?" नामदास बच्चों सा हठ करने लगे तो जगदीश्वर को बताना पड़ा की - " तुम्हारी म्रत्यु पानी में डूबने से होगी ".
              तीन - चार साल बाद नामदास अस्पताल में पड़ा जगदीश्वर को पुकार रहा था . पंद्रह दिनों की पुकार के बाद आखिर जगदीश्वर को आना पड़ा .
         " ये क्या जगदीश्वर !!! ... आपने मुझसे झूठ कहा की मेरी म्रत्यु पानी में डूबने से होगी ! ... ये देखो ..... डाक्टर  कहते हैं कि मुंह का केंसर आखरी स्टेज पर है !! अब बचना मुश्किल है . ... आपने झूठ क्यों कहा !?"
       " मैनें झूठ नहीं कहा था नामदास . तुम्हारे भाग्य में म्रत्यु पानी में डूबने से ही लिखी है .... तुम्हारी ये म्रत्यु भाग्य कि नहीं कर्म कि है . मैं केवल भाग्य लिखता हूँ ..... कर्म और कर्मफल के लिए व्यक्ति स्वयं उत्तरदायी होता है . "
                                                                         _______

* स्वर्ग में लाल झंडा !

                 मंदिर में कोई नहीं था , कामरेड ने पहले फूल चढ़ाये , दीपक और अगरबत्ती जलाये , लाल -पीला कपड़ा , कुछ फल और मिठाई अर्पित की , अंत में हाथ जोड़ कर प्रार्थना करने लगे .
           जगदीश्वर चौकें ! पूछा -  " कामरेड !! .... तुम यहाँ ! सब कुशल तो है ? "
          " वृद्ध हो चला हूँ जगदीश्वर .  कभी भी जाना पड़ सकता है  . "  कामरेड बोले .
                   " कहो , मैं तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूँ ? "
                   " मैनें जीवन भर गलतियाँ की ...... , यदि क्षमा कर देते तो ....."
                   " ठीक  है , क्षमा किया . ..... और बोलो क्या चाहते हो ? "
                   " स्वर्ग की इच्छा है , अगर ......"
                   " चलो ठीक है , तुम्हारे लिए स्वर्ग भी ......."
                   " एक बात और थी जगदीश्वर ...."
                   " हाँ हाँ , बोलो ."
                   " स्वर्ग में लाल झंडे के साथ प्रवेश मिल जायेगा न ? "
       जगदीश्वर कुछ नहीं बोले .

गुरुवार, 8 मार्च 2012

* पापियों के साथ रहने की आदत डालो

" कहते हैं जब पृथ्वी पर पाप बढ़ जायेंगे तब आप अवतार लेंगे !  क्या यह सच है जगदीश्वर ?" दास बाबू ने पूछा .
" हाँ , सच है . मैं पृथ्वी पर आ चुका हूँ . तुम्हारे सामने हूँ . " जगदीश्वर बोले .
" तो फिर कुछ करते क्यों नहीं !?"
" क्या करूँ ?!"
" धर्म की रक्षा कीजिये , और क्या ! " दास बाबू ने याद दिलाया .
" धर्म है ही कहाँ जिसकी रक्षा करूँ ?!" जगदीश्वर ने लाचारी बताई .
" तो पाप का नाश कीजिये , पापी  तो हैं , उन्हें मारिये  . "
" कैसे मारूं , ..... रात- दिन करोड़ों पापियों और खूंखार भक्तों  बीच अपने को घिरा पाता हूँ तो खुद मेरी घिग्घी बांध जाती है ."
" फिर मैं क्या करूँ ? "
" तुम भी कुछ नहीं कर सकते हो ......पापियों के साथ ही रहने की आदत डालो भक्त . "