लल्लू प्रसाद ने जगदीश्वर से पूछा - " तनिक ये तो बताइए जगदीश्वर , स्वर्ग होता कैसा है ? "
" स्वर्ग बहुत सुन्दर होता है . " जगदीश्वर बोले .
" वहाँ क्या क्या होता है ? तनिक खुल कर बताइए . "
" सुन्दर अप्सराएँ होतीं हैं , मधुर संगीत होता है , नृत्य - गान होते हैं , देवता लोग सोमरस का मन चाहा सेवन करते हैं , आमोद प्रमोद होता है , नारद जी सूचनाएं लेते - देते रहते हैं , सब लोग आनंद और मद में डूबे रहते हैं .............. "
" अरे तो यों कहिये न कि ...... स्वर्ग भले आदमियों के रहने कि जगह नहीं है . "
" स्वर्ग बहुत सुन्दर होता है . " जगदीश्वर बोले .
" वहाँ क्या क्या होता है ? तनिक खुल कर बताइए . "
" सुन्दर अप्सराएँ होतीं हैं , मधुर संगीत होता है , नृत्य - गान होते हैं , देवता लोग सोमरस का मन चाहा सेवन करते हैं , आमोद प्रमोद होता है , नारद जी सूचनाएं लेते - देते रहते हैं , सब लोग आनंद और मद में डूबे रहते हैं .............. "
" अरे तो यों कहिये न कि ...... स्वर्ग भले आदमियों के रहने कि जगह नहीं है . "
______
आज तक की सभी लघुकथाएँ पढ़ लीं हैं,जवाहर भाई.बहुत सरलता से व्यंग्य सीधे अंदर तक पहुंचता है.यही इनकी बड़ी खूबी है. साधुवाद.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ब्रजेश जी । व्यंग्य खून में चला गया है ।
जवाब देंहटाएंसो जो भी आएगा व्यंग्य में ही आएगा ।
बहुत खूब! स्वर्ग के सच का पर्दाफाश करके रख दिया आपने तो!!... मतलब एलीट लोगों के लिए है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! स्वर्ग के सच का पर्दाफाश करके रख दिया आपने तो!!... मतलब एलीट लोगों के लिए है।
जवाब देंहटाएंस्वर्ग तो फिर भी स्वर्ग ही रहेगा त्यागी जी ।
हटाएंजीवन भर चरित्र बचाने का मुआवजा है स्वर्ग !
शायद !!
गजब
जवाब देंहटाएं