बुधवार, 24 जुलाई 2013

तुम यहां !!!


              प्राकृतिक आपदा से हजारों तीर्थयात्री मारे गए, मंदिर नष्ट हो गया, बस्तियां उजड़ गई, पूरा देवधाम वीरान हो गया ।
           मातादीन भी सपरिवार देव-दर्शन और पुण्य कमाने के लिए गए थे, किन्तु दुर्भाग्य .... उनका कोई बच नहीं पाया। दुःख का पहाड़ ढ़ोते वे किसी तरह रोते, गिरते-पड़ते घर पहुंचे। भारी मन से दरवाजे का ताला खोला। 
           अंदर देखते ही उनकी चीख निकल गई - ‘‘ जगदीश्वर  तुम !! ...... यहां !! ..... यहीं थे क्या?!’’
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