सिंदूर पुते जगदीश्वर पेड़ के
नीचे बैठे खुली हवा का आनंद ले रहे थे कि एक युवक पीड़ा की अवस्था में आया, -
“प्रभु इस हाथ को जोड़ दो, जोड़ दो
प्रभु ।“
जगदीश्वर चौंके , -
“ये कैसे हुआ ! ?”
“भीड़ ने किसी गलत फहमी के
कारण हिंसा की और ये हाथ कट गया । जोड़ दो जगदीश्वर ।“ युवक ने कटा हाथ आगे कर आग्रह किया ।
“ये तो मेरे बस की बात नहीं
है युवक । तुम्हें फौरन किसी डाक्टर के पास जाना चाहिए ।“ जगदीश्वर ने सलाह दी ।
युवक नहीं माना,
-
“ये कैसे हो सकता है !! आपने तो हाथी का सिर जोड़ दिया था अपने पुत्र पर !”
“वो तो सिर्फ कथा है,
तुम डाक्टर के पास जाओ । “
“ठीक है ,
डाक्टर के पास जाता हूँ । “ अचानक वह ठिठका,
बोला – “कटे हाथ में भाग्य की रेखाएँ कितनी देर तक जिंदा रहती हैं ?”
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