जगदीश्वर दुःखी बैठे थे । लल्लन ने पूछा तो बोले - ‘‘ दुनिया मैंने बनाई है , लेकिन अब कोई श्रेय देने को तैयार नहीं है ! ’’
‘‘ आप भगवान हैं , दुनिया आपने ही बनाई है भला इसमें किसे आशंका हो सकती है !? ’’ लल्लन चकित और थोड़े क्रोधित हुए ।
‘‘ श्रमिक दावा करते हैं कि दुनिया उन्होंने बनाई है । ’’
‘‘...... ! .... उनकी बात में दम तो है ...... दुनिया मजदूरों ने ही बनाई है । ’’
‘‘ तुम मेरे भक्त हो या श्रमिकों के वकील !? ’’
‘‘ लेकिन जगदीश्वर ...... श्रमिक तो आपने ही बनाए हैं ....... आप श्रमिक बनाने का श्रेय ले लो । दुनिया बनाने का अप्रत्यक्ष सहयोग ..... । ’’
‘‘ ...... । ...... । ....... । ..... नहीं । ..... पता नहीं ..... यह श्रेय है या अपराध ! ’’ जगदीश्वर दुःखी बने रहे ।
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