मंदिर में देर रात कुछ लोग मुंह ढंके जगदीश्वर के सामने आए । पूजन किया, भेंट चढ़ाई और बोले - ‘‘ हम डाकू हैं । इस समय गांव में डाका डालने जा रहे हैं । हे जगदीश्वर ...... आप कृपा कर हमें आशीर्वाद दीजिए कि तगड़ा माल लूटने को मिले । ’’
जगदीश्वर ने कहा - ‘‘ तथास्तु । .... सफल भव । ’’
डाकू चले गए । पास बैठी देवी कुछ समझ नहीं पाईं । वे घूरने लगीं .
जगदीश्वर बोले - ‘‘ घूरो मत , ..... सदा सच बोलने वालों का साथ देना और सहायता करना मेरी विवशता है देवी । ’’
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डकैती की प्रथा पर सच्चाई की मुहर.! गजब उलटबाँसी है सर।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ब्रजेश भाई । पारखी न हों तो सोना कबाड़ है ।
हटाएंbahut badhiya .....sach bolne ka kuch n kuch inam to milna hi chahiye ...
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