शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

* पूछपरख !!

        ‘‘ अरे बुढ़उ ! ये कौन सा शौक  पाल लिए हो इस उमर में !! दो-दो कुत्ते ! ... ऐसे ठाठ हैं ! ’’ जगदीश्वर ने मार्निंग वाक पर अपने मित्र इन्द्रप्रताप सिंह को दो कुत्तों को टहलाते देख छेड़ा ।
        ‘‘ करना पड़ता है यार , सब करना पड़ता है । ’’ आई.पी.सिंह बोले ।
        ‘‘ तूने तो जिन्दगी में कभी कुत्ता पाला नहीं ! और इस बुढ़ापे में दो-दो कुत्तों के आगे कूं-कूं करने में मजा आ रहा है क्या ?! .... ऐसा कितना मिलता है सरकारी पेंशन  में ! ’’
        ‘‘ वो बात नहीं है यार , ........ एक कुत्ता बड़ी बहू ले आई अपने मैके से  ......तो  दूसरा छोटी ले आई .... जरुरी था ना । .... अब इनकी पूछपरख पर ही मेरी पूछपरख निर्भर करती है । ’’
       जगदीश्वर ने कुत्तों से बचते हुए सिंह की पीठ पर तसल्ली का हाथ रखा और आगे बढ़ गए । 

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