सोमवार, 25 जुलाई 2011

* इस बार भी विकल्प नहीं !

  एरिया का भाई इंदर हफ्ता वसूलने स्कूल मास्टर दधीच दास  के सामने प्रकट हुआ.  उसे पता चल गया था कि दधीच दास का ब्लड ग्रुप एबी पाजिटिव है । हाथ जोड़ कर बोला - ‘‘ माड़साब आप महारिसी समान हें । इस बार हपते में मेरे-को आपसे रुपिये नईं चइये .......’’
            जनगणना सूचि में व्यस्त दधीच दास ने देखा कि भाई-इंदर के साथ उसके शूटर  भी खड़े हैं । पूछा - ‘‘क्या चाहिये ? मैंने तो दो सौ रुपए रखे हैं हमेशा  की तरह । ’’
          ‘‘ आप तो महारिसी हैं , सास्त्रों में लिखा हे कि पेले कभी आपने अपनी हड्डियां दी थीं । आज मेरे-को आपकी किडनियां चइये । महारिसी , ये चीजें दे कर आप महान बन जाएंगे , अमर हो जाएंगे और मेरे भाई को जिन्दगी मिल जाएगी । ’’ भाई इंदर ने घूरते हुए आग्रह किया ।
          दधीच दास की घिघ्घी सी बंध गई । कुछ देर सोचते रहे, फिर बोले - ‘‘ क्या इस बार भी कोई विकल्प नहीं है ? ‘‘
          ‘‘ नहीं । ’’ इंदर ने दो टूक उत्तर दिया ।

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