‘‘ लोग कहते हैं कि ईमानदारों को राजनीति में आना चाहिए लेकिन साफसुथरी छबि वालों को कोई पूछता नहीं है ! न इधर चैन है ना उधर । समझ में नहीं आता कि आखिर जनता चाहती क्या है ! ये तुमने कैसी दुनिया और कैसे लोग बना दिए जगदीश्वर !! ’’
जगदीश्वर इस समय भी कण कण में बसे हुए थे । उन्होंने सुन लिया , पूछा - ‘‘ ऐसी क्या बात हो गई हरिश्चंद्र !? क्यों इतना नाराज हो ?! ’’
‘‘ आपने ही कहा था कि ईमानदारी से बढ़ कर कुछ नहीं है जीवन में, सो ईमानदार बना रहा । जनता के कहने से चुनाव लड़ा, लेकिन वोट नहीं मिले । लोग कहते हैं कि जो आदमी अपने फायदे के लिए कुछ नहीं कर सका वो भला दूसरों के लिए क्या करेगा ! ’’
‘‘ इसमें गलत क्या है हरिश्चंद्र ? ...... सच बात तो यह है कि यदि मैं पूरी तरह ईमानदार रहूं तो मुझे भी ईश्वर कौन मानेगा ? ’’ कह कर जगदीश्वर मुड़ गए ।----------
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